Gujarwas
Sacred land of Harmony
About
गुजरवास अटेली महेंद्रगढ़ रोड़ पर एक बहुत ही छोटा पर बेहद प्रसिद्ध गाँव है। जो अटेली से पांँच किलोमीटर दूर वह महेंद्रगढ़ से19 किलोमीटर दूर है। जिसमें मात्र हजार घर हैंं इसे अगर हवेलियों का गाँव कहा जाये तो भी गलत नहीं है क्यूंकि इसमें बड़ी-बड़ी हवेलियां हैं जिनकी संख्या कम से कम 15 है जो अपनी कारीगरी वह भव्यता के चलते जानी जाती हैं। इस छोटे से गाँव में सभी जाति व सम्प्रदाय के लोग मिलजुल कर रहते हैं। पक्के घर , व्यवस्थित योजनाओं के अनुसार बसा हुआ गांँव है। सबसे बड़ी बात यहाँ कोई ही कच्चा घर होगा। पक्की सड़कें हैं। पढ़ें लिखे व शिक्षित लोग हैं। समाज सेवा में लगे नवयुवक। हमें नाज़ है कि इस गावँ ने शिक्षा व देश भक्ति में सदैव बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया है। इस गाँव के लोग आजाद हिन्द फौज में थे तो आज भी तीनों सेनाओं में अपनी उपस्थित दर्ज करते हैं। देश के बड़े-बड़े शहरों में अच्छे खासे जाने-माने उद्योगपति हैं तो दूसरी ओर सरकारी व बड़ी-बड़ी कंपनियों में सेवारत। विदेशों में भी अपनी काबिलियत का लोहा मनवाते हैं। यहाँ दो सरकारी स्कूल व प्राइवेट शिक्षण संस्थाएं हैं। यहाँ के नवयुवक समाजसेवी हैं तो शांतिप्रिय भी। राजनैतिक गतिविधियों में भी बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं। पानी बिजली की अच्छी व्यवस्था है सिंचांई के लिए ट्यूबवेल व नहर हैं। खेती-बाड़ी की अच्छी जानकारी रखते हैं यहांँ के किसान। फसल बेचने के लिए पास ही मंडी है। राशन व दैनिक जरूरत के सामान के लिए दुकानें हैं। बड़े शहरों के लिए यातायात के लिए अब सुगम साधन हैं।यह गांँव का गाँव वह शहर का शहर। क्योंकि इसकी आबोहवा बिलकुल प्रदूषण रहित है। गाय-भैंस,ऊँट और भेड़-बकरियां यहांँ पाले जाते हैं। मोरों की पीहू-पीहू से सुबह-शाम वह थोड़ी सी किसी तेज आहट व बारिश में गुंँज उठता है पूरा गाँव। चिड़िया, कोयल तोते व न जाने कितनी प्रजातियां पाई जाती हैं पंछियों की यहाँ। पंचायती कामकाज सरपंच व पंच अपनी जिम्मेदारी से बखूबी सम्भालते हैं।
यहांँ इक ठाकुर जी का प्राचीन मंदिर है जहांँ हर इंसान अपने नये जीवन व काम की शुरुआत करने से पहले जरूर दर्शन करने के लिए जाता है।इसके अलावा दो शिवालय , भूमि देवता व शीतला मांँ के मंदिर भी हैं।
लोग संस्कारिक होने के साथ-साथ श्रद्धालु भी हैं। मुझे अपने गाँव से प्यार है व उस पर नाज है।