History
Established in 1492
अटेली-महेन्द्रगढ रोड पर स्थित गांव गुजरवास संवत 1492 में ठाकुर गजे सिंह चौहान ने बसाया। इनका निकास बर्डोद (राजस्थान) से है। गांव का क्षेत्रफल लगभग 172000 वर्ग मीटर है। इसकी आबादी 3000 है। हिन्दू व मुस्लिम धर्म को मानने वाली 14 जातियां यहां निवास करती हैं। राजपूत बाहुल्य गांव गुजरवास में गोद गांव से आए अहीर जाति के लोग ढाणी में बस गए जो ढाणी गुजरवास के नाम से जानी जाती है। बाबा बद्रीदास व बाबा गोविंददास जैसे महान संत यहां हुए हैं।
यहां भगवान श्रीकृष्ण का प्राचीन मंदिर है जो ठाकुर जी मंदिर के नाम से जाना जाता है । यही प्राचीन शिवालय भी है। समाध मंदिर, सेढ-भैया मंदिर,राम मंदिर, चेतननाथ मंदिर अन्य मंदिर हैं। फाल्गुन, कार्तिक व रामनवमी पर यहां भारी मेले भरते हैं।
प्रथम विश्व युद्ध में भाग लेने वाले ठाकुर शहजाद सिंह गांव से प्रथम फौजी थे। हवलदार दलीप सिंह द्वितीय विश्व युद्ध में लङे थे।स्वतंत्रता सेनानी श्री सुरजन सिंह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिन्द फौज में भर्ती होकर देश की स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष किया। इस गांव से दो शहीद हुए हैं। 1971 के भारत-पाक युद्ध में दो वीर सैनिक जयपाल सिंह व बहादुर सिंह वतन की आन,बान, शान के लिए शहादत दी। सूबेदार बाघ सिंह ने द्वितीय विश्व युद्ध, 1962,1965 के युद्धों में मोर्चे पर दुश्मन को परास्त किया। 1969 में वे ऑनरेरी लेफ्टिनेंट के पद से सेवानिवृत्त हुए।
एक जमाने में कुएं खोदने के ठेकेदार यहां सबसे अधिक होते थे। अब खेतीबाड़ी के अलावा टाइल्स लगाना मुख्य धंधा है। वैश्य/ महाजन समुदाय के विशेष योगदान के कारण गांव शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। आसपास के कई गांवों से बच्चे पढने आते रहे हैं। हाई स्कूल के अलावा यहां लडकियों की सीनियर सैकेंडरी स्कूल भी है। श्री रविदत्त शर्मा जी को पहला शिक्षक बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। सबसे पहले ग्रेजुएट रोहताश अग्रवाल हुए। 1955 में ग्रेजुएशन व 1957 में पोस्ट- ग्रेजुएशन करने के बाद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के महाप्रबंधक बने। मणिबाई सुपुत्री अजीत सिंह शर्मा को 1987 में पहली स्नातक लङकी होने का गौरव प्राप्त है। 1947 में स्कूल में एडमिशन लेने वाली पहली लङकी रतनी बाई सुपुत्री फूल सिंह थी।
समाजसेवी सेठ भगवान दास जैसे न्याय पंच हुए। जनहितैषी सेठ सूरजभान व उनके परिवार ने स्कूल,अस्पताल व पेयजल की व्यवस्था करवाई। आधुनिक सोच के धनी सेठ गणपत राम के परिवार ने 1980 में गांव में पाईप लाइन बिछवा कर घर-घर पानी पहुंचाया।
रामजीलाल, मनोहरलाल,श्रीलाल, प्रभु सिंह,हीरालाल छंद गैवया व अमर सिंह,सरदार सिंह, शिम्भ स्वामी लोक गायक हुए। बहादुर सिंह हारमोनियम मास्टर व बिशम्बर दयाल ढोलक वादक हुए। वर्तमान में रघुबीर सिंह, अशोक महाशय, सोनू ठाकुर व संजय शर्मा संगीत साधना में लीन है। डाॅ छत्रपाल वर्मा गांव के प्रसिद्ध कवि-गीतकार व साहित्यकार हैं।
कृष्णावती नदी के किनारे बसा गुजरवास सिंचाई व पेयजल के लिए नदी के अलावा भूमिगत जल पर ही निर्भर है।
श्रीराम सेवा ट्रस्ट राष्ट्र निर्माण को समर्पित रजिस्टर्ड संस्था है जो सामाजिक क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रही है। शिक्षा,स्वास्थ्य,पर्यावरण व खेलकूद पर ट्रस्ट का कार्य सराहनीय है।
कोरोना काल में गांव ने काफी सावधानी रखी। फिर भी हमने अपने कुछ प्रियजनों को खोया था।
1947 से पहले गुजरवास नाभा रियायत का हिस्सा रहा है। अब तक सेना के तीनों अंगों (आर्मी,नेवी,एयरफोर्स) में 52 देशभक्त सेवा दे चुके हैं। विभिन्न देशों में उच्च पदों पर सेवाओं के अलावा 65 ग्रामीण जज, वैज्ञानिक, प्राचार्य,डॉक्टर, मेजर, लेक्चरर,बैंक प्रबंधक, इंस्पेक्टर, सचिव,क्लर्क जैसे पदों पर सरकारी सेवा में हैं।
कॉलेज प्रोफेसर 2, स्कूल प्रिसिंपल 02, स्कूल लेक्चरर 07, अध्यापक 10, एमबीबीएस डाॅक्टर 04 हैं।
लंदन स्थित बैंक में मैनेजिंग डायरेक्टर विनय अग्रवाल,शारजहां यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर डाॅ रमेश बंसल, डीआरडीओ में वैज्ञानिक प्रदीप अग्रवाल, आर्मी में कैप्टन संजय सिंह, जज देवेन्द्र कुमार, प्राचार्य कृष्ण सिंह, डाॅ मोनिका वर्मा,डाॅ नवदीप,अमेरिका में चीफ इंजीनियर डाॅ रवि अग्रवाल गांव की वर्तमान में शान बढा रहे हैं।
गांव गुजरवास की राजनैतिक रूप से भी अच्छी पकङ रही है। लाला जगदीश प्रशाद गुप्ता 84 गांवों के ब्लॉक समिति चेयरमैन रहे हैं।उनकी मुख्यमंत्री तक सीधी पकङ रही है। 2002 में हरियाणा के मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के करकमलों से हाई स्कूल का उद्घाटन करवाया था।
वर्तमान में गांव में शिक्षा का अच्छा वातावरण है। गांव से उच्च शिक्षा के लिए विदेशों के अलावा आईआईटी, मैडिकल में बच्चे पढ रहे हैं। गांव में दो सरकारी व दो निजी स्कूल हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र , डाकघर जैसी उत्तम सुविधाएं हैं। 1982 में हरियाणा सरकार ने इसे आदर्श गांव घोषित किया था।
यूं तो हर ग्रामीण पर्यावरण मित्र है। पर विशेष रूप से इस समय प्यारेलाल, ब्रजपाल सिंह, श्यामादेवी, सुमेर सिंह,रामस्वरूप गोठवाल पर्यावरण संरक्षण पर काम कर रहे हैं।
विवरण लिखने वाले:– श्रीराम सेवा-ट्रस्ट प्रधान ओपी चौहान, नारायण दास बंसल, वेदप्रकाश अग्रवाल, राजेन्द्र वर्मा, भवानी सिंह, रामपाल सिंह थानेदार